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पाखंड और दूरदर्शन

  आस्तिक हो या नहीं ये मेरे विषय से बाहर हैं, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। मेरा उद्देश्य केवल इतना है कि इसमें पाखंड के पैर कैसे जमे हैं। मै आस्तिक और नास्तिक दोनों का पक्षधर ना हो कर , सच और मानवता का पक्षधर हूं, खैर मैं क्या हूं , ये मायने नहीं रखता। मेरी बात की शुरुआत दूरदर्शन से ही करता हूं। कितने लोग होंगे आज भी जिन्होंने टीवी मे आए हुए राम को राम और कृष्ण को कृष्ण माना हुआ , यहां तक कि उनके पोस्टर घरों मे रख कर पूजा की जा रही हैं। वो आज भी यही मानते है कि ये ही भगवान का असल रूप है और यही से शुरू होता हैं, उनका इन सब चीजों का अपने आस पास वालो पर , बच्चों पर आदि इन सबको थोपना । ध्यान योग्य बात ये है कि दूरदर्शन ने जो छवि लोगो को धर्म के नाम पर आडम्बरो के प्रोत्साहन की बड़ाई है , वही आज इन सब मजहबी झगड़ो का मशला बना जा रहा हैं। टीवी पर देखी हर चीज सत्य ( धर्म संबंधी) अब इनको ये थोड़े ना पता है, अगला आदमी स्क्रिप्ट की लाइन्स बोल रहा हैं और स्क्रिप्ट लिखने वाला अपने कंटेंट को चलाने के लिए कुछ ऐसा ही लिखेगा कि वो दर्शकों को पसंद तो आए साथ में दर्शक उस विषयवस्तु को खुद से रिलेट(relat
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कर्तव्य पालना

राम आस्था का विषय है ,  तो उस पर तो किसी भी तरह की टिप्पणी सिर्फ और सिर्फ बहस, आस्था_आहत और झगड़े का विषय ही बनेगा । अब में अपनी बात आता हूं , जो मैंने पोस्ट किया है उस पर.. इसमें जो भी लेखक( लगता तो नही है , पर मुझे इसका अधिकार नही की, मैं ये तय करूं) उसका ज्ञान और कौशल इस बात से साफ हो रहा हैं कि वो ऐसे व्यक्ति पर सिर्फ प्रश्न ही खड़ा नही कर रहा बल्कि ये तक बता रहा हैं कि उसने अपना कार्य कर के ही गलती हैं। अब आप ये बताएं कि अगर आप डॉक्टर है, तो क्या किसी अपराधी का इलाज नहीं करेंगे क्या , अगर करोगे तो आप भी तथाकथित लोगों के अनुसार सुअर बन सकते हैं। इंजीनियर भी अपना काम किसी अपराधी के लिए करे तो.. जेल में बंद कैदियों का खाना बनाने वाले और उन्हे देने वाले.. बाल सुधार गृह में शिक्षा देने वाले शिक्षक.. इन तथाकथित मानवों को लगता है कि कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य को करे , पर इन्ही के अनुसार करे। अब इस फोटो में जो व्यक्ति हैं, वो भी देश के नामी वकीलों में अपना स्थान बनाएं हुए है तो इससे स्पष्ट तो यही होता हैं कि या तो आप हर किसी को देश में नामी वकीलो की श्रेणी में रख देते हों, जिसमे

बेचारी सरकारी Vs दोषी सिस्टम

गंगा में बहती लाशों की खोज, अगर नये जलीय जीव के रूप में ना हुई.. तो इसमें सरकार की गलती कैसी , ये तो वैज्ञानिकों और शिक्षित सिस्टम की गलती हुई.. बात ये तो बिल्कुल ही गलत हैं कि आप कहो सरकार फैल हुई.. ना ना जनाब आप भूल गए , वो तो बिना परीक्षा प्रमोट हुई.. जो हालात देश के हैं , उसको कैसे सरकार की नाकामयाबी बता सकते हैं.. सरकार ने साफ साफ कहा है , ये मुद्दे तो उनके पाठ्यक्रम के बाहर से आते हैं.. न्याय की आखरी आश के दरवाजे से भी अलग ही आवाज आई " अब सब भगवान भरोसे हैं" ये सुनकर हम भी आश्चर्यचकित हैं कि गलती सरकार की नहीं हैं, किसकी है , ये अब समझ भरोसे हैं.. सरकार विरोध में पोस्टर किसने लगवाएं है , अभी पकड़ना उनको है जरूर.. अब सरकार देशद्रोहियों ( केवल सरकार के लिए) को भी पकड़े, तो आप इसको बताते हो गरूर... अब तो झोला छाप से लेकर डिग्रीधारी तक सब फंसे पड़े है धन की छाप में लालच, स्वार्थ में अंधे गिद्ध हो कर , लगे पड़े है इंसान को मारने में इंसानियत जिनमें जिंदा थी , वो चंद फरिश्ते बने हुए है , ऐसी मुसीबतो में.. सरकार भी उनकी खिदमत करने के लिए कर रही हैं बंद उनको जेलों में.. राजनी

#भारत vs #अमेजन_वन #विविधता_धर्म

#भारत vs #अमेजन_वन #विविधता_धर्म मैने काफी सारी पोस्ट देखी .. उनमें अधिकतर तो एक –दूसरे धर्म पर प्रत्यारोपण की थी और कुछ में ये बता रहे थे कि ये आजकल देश की राजनीति का प्रमुख हथियार बन गया हैं, जिसका फायदा सिर्फ और सिर्फ नेताओं को और उनकी पार्टियों को होता हैं। अब मैं अपनी बात पर आता हूं, जो ऊपर लिखा है, विविधता.. क्या है विविधता और इसका भारत और धर्म से क्या जुड़ाव है ? तो आसान भाषा में समझे "जीवों में पायी जाने वाली विभिनताएं " अर्थात अलग अलग प्रकार के जीवो का एक जगह (विशेष भू–खंड) पर निवास से हैं। ‌विविधता के बाद अमेजन वर्षा वन की बात करते हैं इसका मेंशन का कारण क्या था? तो इसको भी आसान भाषा में ही समझे कि जिस विविधता के बारे मे ऊपर लिखित जो जानकारी है, वो विविधता विश्व मे सर्वाधिक इन्ही वनों में पायी जाती हैं, और मेरे अनुसार आप सब ने इन वनों का नाम जरूर सुना होगा, पर शायद आज उसका कारण स्पष्ट हो गया होगा। अब आते हैं, हमारे अपने भारत पर अब इसका इससे क्या जुड़ाव है? तो अब आप इसको ऐसे समझे कि भारत , भारत क्यों है, उसका कारण क्या हैं? आज भी भारत, विश्व में अपनी जगह बनाएं हुए