गंगा में बहती लाशों की खोज, अगर नये जलीय जीव के रूप में ना हुई..
तो इसमें सरकार की गलती कैसी , ये तो वैज्ञानिकों और शिक्षित सिस्टम की गलती हुई..
बात ये तो बिल्कुल ही गलत हैं कि आप कहो सरकार फैल हुई..
ना ना जनाब आप भूल गए , वो तो बिना परीक्षा प्रमोट हुई..
जो हालात देश के हैं , उसको कैसे सरकार की नाकामयाबी बता सकते हैं..
सरकार ने साफ साफ कहा है , ये मुद्दे तो उनके पाठ्यक्रम के बाहर से आते हैं..
न्याय की आखरी आश के दरवाजे से भी अलग ही आवाज आई " अब सब भगवान भरोसे हैं"
ये सुनकर हम भी आश्चर्यचकित हैं कि गलती सरकार की नहीं हैं, किसकी है , ये अब समझ भरोसे हैं..
सरकार विरोध में पोस्टर किसने लगवाएं है , अभी पकड़ना उनको है जरूर..
अब सरकार देशद्रोहियों ( केवल सरकार के लिए) को भी पकड़े, तो आप इसको बताते हो गरूर...
अब तो झोला छाप से लेकर डिग्रीधारी तक सब फंसे पड़े है धन की छाप में
लालच, स्वार्थ में अंधे गिद्ध हो कर , लगे पड़े है इंसान को मारने में
इंसानियत जिनमें जिंदा थी , वो चंद फरिश्ते बने हुए है , ऐसी मुसीबतो में..
सरकार भी उनकी खिदमत करने के लिए कर रही हैं बंद उनको जेलों में..
राजनीति के गिद्ध है ये, नोच के सब को खायेंगे
कुर्सी को बचाने चक्कर में , हर हद पार कर जायेंगे
#Arav_Rahriya✍️✍️✍️
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